Friday 4 March 2016

‎खोड़लापन‬ (काली स्याही और गाली स्याही से कूटनीतिक जीत)

पण्डित के घर काम करने वाली काम वाली बाई‬ ने पण्डित के पड़ोसी काना की काणी घरवाली को गाली दे डाली, और काना ने डण्डा ले कर पण्डित को खूब मारा।
सारा गांव भी पण्डित के पिटने को जायज ठहरा रहा था, भई गाली देना तो गलत है ना, सो हो गई थू थू।
पर यह बात किसी को नहीं मालूम, की काना दिन ब दिन पण्डित की बढ़ती सामाजिक प्रतिष्ठा से बहुत खफा था और सोच रहा था की इस पण्डित को कैसे ने कैसे सबके सामने धूल चटाई जाए पर मुश्किल यह थी की पण्डित को अपने कामों से ही फुर्सत नहीं, कई बार उसे गाली दी, टंगड़ी भी मारी पर वो चुपचाप निकल जाता अत: उसे आखिरकार किस तरह घेरा जाए.. अत: काना ने एक बड़ा आसान कूनीतिक उपाय खोज निकाला उसने पण्डित की काम वाली बाई को चुपचाप पांच सौ का नोट थमाया और कहा तू मेरे घर के बाहर खड़ी हो कर मेरी घरवाली को जोर जोर से गाली दे जाना..!!
बाई को पांचसौ रूपये मिल गये और पण्डित जी बड़ी आसानी से पिट गये और काना भी बैठे बिठाये सुर्खियों में आ गये
तो भाजपा अपनी एसी कई ‪‎काम वाली बाईयों‬ से रोज पिटती है
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कन्हैया तो कल पत्रकार वार्तालाप में अफजल गुरू और कश्मीर के मसले पर अपनी गोलमोल बयानों से बैकफुट पर जाता दिखाई दे रहा है पर तुरन्त ही उसकी जुबान काट देने वाला तुगलकी फरमान एक कामवाली बाई से जारी हो गया.. आज मीडीया बहस कर के मोदी जी और भाजपा की धज्जियां उड़ायेगा
और अभी तो पांच राज्यों के चुनावों में भाजपा की कई काम वाली बाईयां विपक्ष को लट्ठ ले कर रोज मोदी जी की आरती उतरवायेगीं


-KESHAV PUROHIT

जेएनयू से आन्दोलन और सत्ता पलट

देश में जब जब अत्याचार हुए हैं जेएनयू से आन्दोलन और सत्ता पलट हुए हैं
~नचिकेता कन्हैया (पीठासीन मण्डलेश्वर, जेएनयू)
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परन्तु अनुभव तो यह कह रहा है चाहे मुम्बई हमला हो, या इसके गुरू अफज़ल का कारनामा... हमने तो सेना को ही उनसे जूझते और शहीद होते देखा है और सत्तापलट देश का आमजन करता है (फिर भी गाड़िया लुहार के कुत्ते के सरीखा इतना घमण्ड!!?)
वैसे शोर तो पूंपाडी भी करती है और शहनाई भी
पर एक सिर दुखाती है और एक भाव विभोर..
इस देश में
नाचने वाले तो बम्ब ब्लास्ट पर भी नाच लेते हैं
और नचिकेता इतने बड़े विश्विद्यालय में पढ़ कर भी यह फर्क नहीं समझ पाया है इसका मतलब देश ने अपना टैक्स बहा दिया गन्दे नाले में..


-KESHAV PUROHIT

Thursday 23 July 2015

कांग्रेसी काला फन और ज़हरीली फ़ुफ़कार‬

"कांग्रेस को घोटालों से बड़ा प्रेम है" इसके बिना उसका कोई वज़ूद ही नहीं है.
सिक्के के ऊपर गांधी है, तो सिक्के नीचे घोटाला है
आप कैसे भी टॉस कर लें देश का बण्टाढार ही होता है.
गये दस साल इसने बड़े बड़े घोटालों के साये में निकाल दिए थे
पर यह एक साल उस से बिताए नहीं बीत रहा था.
यह पार्टीं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती की कोई भी सरकार बिना घोटाला किए पूरा एक साल आखिर कैसे निकाल सकती है??

यह हो ही नहीं सकता.. इसलिए यह घोटाला रहित एक साल कांग्रेस के मर्म पर बहुत गहरी चोट लगा गया. अत: उसका "दम्भ" काले नाग के फन की तरह रोज फैलता ही जा रहा था.. किन्तु आखिर वह काटे भी तो किस को जा कर काटे??
भूखा नाग जब खाने को कुछ नहीं मिलता है तो किसी पानी के छोटे मोटे गढ्ढों में छुपे हुए किसी मेंढक को चट कर के अपनी क्षुधा शान्त करता है किन्तु जब वह भी ना मिल पाए तो भूख की बैचेनी से फुंफकारें मार मार कर हवा में जहर फेंक कर आसपास के वातावरण को दूषित करने लगता है
भूखा कांग्रेसी नाग गत साल में कोई नया शिकार हाथ नहीं आने के कारण पुराने गड्ढे में से ललित मोदी को पकड़ कर ले आया फिर व्यापम से अपने अहम की तुष्ठी करता रहा, पर अब इन सबमें से निकल कर ठोस कुछ भी निकलता दिखाई नहीं दे रहा है तो अब उसके पास संसद के इस मानसून सत्र में सिवा फुंफकारे मार मार कर माहौल बिगाड़ने के अलावा शेष कुछ भी बचा नहीं है
....पढ़े लिखे को फारसी क्या, आप खुद सोचिए
उक्त सभी मामलों में अगर जरा सा भी कुछ दम होता और कोई पुख्ता सबूत होते तो अब तक कांग्रेस खुद FIR के साथ कोर्ट में मामले को खींच कर संसद में ज़नाब मोदी सरकार को चारों खाने चित्त कर चुकी होती.
तो पप्पू भैया के हाथी के दांत खाने के और हैं दिखाने के और.
इसलिए इन शातिर शकीलों का मकसद सिर्फ
फजूल में सिर्फ शोर मचाना है
झूठे दोषारोपण कर के खुद को साहूकार बनाना और मोदी सरकार के अब तक के सभी सकारात्मक प्रयासों को जनता से छुपाना है ताकी देश की हो रही प्रगती की सच्चाईयां जनता के सामने ना आ सके
संसद को ना चलने देने के पीछे यही नकारात्मकता छुपी हुई है.
भैया देश और देश की जनता को हम तब भी ले डूबे थे जब हम खुद सरकार में बैठे थे और अब भी ले डूबेगे अब जब हम विपक्ष में हैं
हमें इन सैक्यूलर ढ़ोगियों की इस विध्वंसकारी सोच को भली भांती समझ लेना चाहिए.
- Keshav Purohit

‎संसद मानसून सत्र और खुलजा सिम सिम‬

विपक्ष चाहे कितना ही शोर मचाए पर आज मानसून सत्र के पहिले दिन यह तो साफ हो गया की विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दे नहीं है सिवाय शोर मचाने के..
ललित मोदी मुद्दा लल्लू साबित हो रहा है अभी तो सिर्फ 'व्यापम' को ही कांग्रेस भुना कर कुछ आस्तीन चढ़ा पाएगी पर यह ज्यादा चढ़ी आस्तीन आने वाले दिनों में कांग्रेस के ही गले का फन्दा बनने वाला है इस असलियत से वह अवचेतन में जान कर डरी हुई भी है. किन्तु फिलहाल तात्कालिक लाभ लेने के लिए वह पूरी तरह से लालायित भी है.
'व्यापम' में अधिकांश हत्यायें केन्द्र में UPA Govt. की पूर्ण मौजूदगी के दौरान में ही हुई हैं, प्रश्न उठता है तब क्यूं नहीं CBI की मांग उठी? केन्द्र ने तब इसमें गहराई में जा कर, तब क्यूं नहीं दिलचस्पी ली??
जबकी विधानसभा चुनावों में शिवराज को घेरने और शिकस्त देने का यह एक स्वर्णिम मुद्दा था फिर भी जानबूझ कर क्यूं आँख मींच ली गई??
यह सब जानते हैं व्यापम में हत्यायें सबूत मिटाने के लिए की जा रहीं थीं तो क्या वे पूर्व में हुई सभी हत्याओं से जुड़े सबूत कांग्रेस के थे? यानी की चतुराई से पहले अपना दामन साफ करो और फिर गाँधी जी को याद करो और फिर जैसे ही मौका लगे, फिर चप्पल उठा कर साहूकार बन जाओ और फिर अपना मजा लो.
मध्यप्रदेश फिलहाल आनेवाले समय में विवादों से घिरा रहने वाला है किन्तु जैसे जैसे जांच अपने चरम पर पंहुचेगी यह तय है कांग्रेस की और डिग्गी राजा दोनों की लुटिया डूबेगी. क्यूं की व्यापम की जड़ों में इनके हाथ की ही रखी हुई ईंटे जो हैं लेकिन फिर भी साहूकारी!!
बेशर्मी और धूर्तता तो कोई इनसे सीखे.. बड़े मंजे हुए खिलाड़ी हैं
पूरा देश डकार जाने के बाद भी ये लोग आज भी भूखे के भूखे ही हैं और अब भी चाहते हैं की एन केन प्रकारेण कैसे भी अलीबाबा का खजाना फिर से इनके हाथों मे आ जाए..
- Keshav Purohit

याकूब मेमन का सच (Truth of Yakub Memon)

आज सोचा ‪‎याकूब मेमन‬ केस पर पूरी रिसर्च कर ही ली जाए.......आज पूरा मुस्लिम समाज इस फैसले पर नाराजगी दिखा रहा है ये कहकर की ये फैसला याकूब मेमन के मुस्लिम होने के कारण दिया गया है.......लो अब चौकने की बारी आपकी है.....मुंबई बम ब्लास्ट में 226 आरोपित बनाये गए, जिसमे से लगभग 100 भगोड़े घोषित हो गए जैसे दाऊद और टाइगर वगैरा, बाकी बचे 126 में से 12 हिन्दू थे जिसमे कस्टम और पुलिस के अधिकारी थे जिन्होंने हथियार और RDX के लिए safe passage मुहैया करवाया (संजय दत्त भी इनमे से एक था) इन 12 हिन्दुओ में से एक SN Thapa 2008 में चल बसे बाकियों को 5 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा हुई.........अब चौकने की बारी है, लगभग 53 मुस्लिमों ने तब के उपलब्ध prime accused याकूब के खिलाफ गवाही दी........अब ज़ोर का झटका धीरे से लगाता हूँ, अबू_असीम_आज़मी‬ नाम पहचान में आया? तो सुनो आज के अबू_आज़मी‬ (समाजवादी पार्टी वाले) भी तब टाडा कोर्ट में CBI द्वारा आरोपित थे, इन पर आरोप था इन्होंने बम ब्लास्ट के लिए ट्रेनिंग दिलवाने के लिए बंदो को पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट का इंतज़ाम किया था (तब इनकी ट्रेवल एजेंसी थी), ये भी अपना गुनाह याकूब पर ड़ाल खुद को बेदाग़ साबित करवा आये 1998 में सुप्रीम कोर्ट से, हद है भाई.........आज यही सबसे ज़्यादा हल्ला मचा रहे है!
इस पुरे घटनाक्रम में याकूब को उसके नज़दीकियों ने ही गवाही देकर फंसाया, सबने एक मुश्त याकूब का नाम लिया.......अब ये बताओ कौन दोषी है, अबू आज़मी और तुम्हारी खुद की कौम के लोग याकि तब की कोई भी रही सरकार (वैसे तब शरद पवार महाराष्ट्र में और केंद्र में 5 साल छोड़ कांग्रेस की सरकार रही)
लिंक की अपेक्षा ना करो (कुछ के लिंक कमेंट बॉक्स में दिए जायेंगे) क्योंकि सबका लिंक देना पॉसिबल नहीं है, सिर्फ अबू आज़मी का टाडा कोर्ट का जजमेंट सर्च मार लो, दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

- Keshav Purohit

राष्ट्रपिता भक्तों का सैक्यूलरवाद‬

महात्मा गांधी की हत्या हुई जब पूरा हिन्दुस्तान हिन्दू मुसलमां दंगों की भीषण आग से धू-धू जल रहा था
कत्ल और वहशियत से पूरा देश लहू लुहान हो चुका था इतने बड़े पैमाने पर हुए कत्लेआम ने इतिहास को भी झिंझोड़ डाला था
जबकी देश के नवज़ात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पूर्णत: चाक चौबन्द सुरक्षा में सुरक्षित थे
वहीं देश के बुजुर्ग राष्ट्रपिता वर्धा आश्रम में सरकण्डों की झोंपड़ी में सुरक्षा इन्तज़ामात के बिना मौत के इन्तजार में थे.
क्या नेहरू नहीं जानते थे की बापू की जान को कोई खतरा है??
गौडसे ने उन्हे प्रार्थना सभा में सबके सामने ही क्यूं मारा??
RSS या कोई भी हिन्दू संगठन, लोकप्रिय जननायक राष्ट्रपिता का एक हिन्दू के हाथों हिन्दू से ही और वो भी इस तरह से खुल्लम खुल्ला खून करवा कर भला अपने माथे कलंक क्यूं लेगा? जबकी चुपचाप रात के अन्धेरे में छुप कर भी इस कृत्य को बड़ी आसानी से अंजाम दिलवाया जा सकता था.
गौडसे ने जानबूझ कर बापू को सबके सामने मारा था यानी की उसने खुद को प्रचारित करने के लिए यह घिनौना काम किया था वर्ना गौडसे को इस देश का कोई कव्वा भी नहीं जानता साथ ही गौडसे मात्र एक प्यादा था जिसके हाथों यह कृत्य करवा कर कोई अपने गले की हड्डी को हटवा कर देश पर निर्विघ्न शासन करना चाहता था और इन्होने ही नेहरू के सैक्यूलर वाद बनाम हिन्दू कट्टरता का पजामा सिल कर इस देश को उम्र भर के लिए पहना दिया.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे लौह पुरूष, मोम की तरह पिघला कर इसी कांग्रेस इतिहास के एक बीता हुआ कल बना दिए गए.
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सुभाष चन्द्र बोस की हत्या
महात्मा गांधी की भी हत्या
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यह दोनों हत्याएं कांग्रेस के नेहरू ग्रुप की यह एक बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत थी.
वर्ना
आधी सदी तक एक छत्र रूप से यह बहरूपिया गाँधी परिवार इस देश पर किसी भी हालत में राज नहीं कर सकता था.
एसे
इनके बहुत से छुपे घिनौने सच देश के लोगों के सामने ना आ जाएं, और यह ‪#‎नकली_कांग्रेस‬ हमेशा हमेशा के लिए जनमानस के मन से तिरोहित ना हो जाए.
इसके लिए आजकल एक कर्मठ सरकार को बेवज़ह मुर्दों की कब्र पर जबरदस्ती घेर घेर कर उनसे रस्साकस्सी की जा रही है, ताकी एन-केन-प्रकारेण संसद में गतिरोध खड़ा करके लोगों के मन में झूठे भ्रम पैदा किए जा सकें.
जबकी उन सभी कब्रों में कांग्रेस की अपनी ही बहुत सी काली रूहें दफ्न हैं.

Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit

गरीब किसानों के जमीनों की हक की लड़ाई‬ और क्यूं परेशां हैं वाड्रा के ससुराल वाले

एक माड़ सा (सरकारी स्कूल के 'सर' को बच्चे प्यार से माड़ सा कहते हैं) भेंगें थे, मैं उनसे कई बार पिट गया..
होता यह था की मेरी गलती पर वो क्लास में किसी और लड़के को डांटते थे और मैं सोचता, कि चलो मैं बच निकला! और खुशी के मारे मुस्कुराने लगता पर जब कान ऐंठ कर.. बाकी जब धूम धड़ाका होता..
तब आंसुओं के साथ समझ में आ जाता था की माड़सा का मुंह उत्तर में था पर देख दक्षिण में ही रहे थे
वही हाल आजकल मैडम सास और बेटे पप्पू का है पहिले किसानों की जमीन
फिर सुषमा स्वराज
वसुन्धरा राजे
व्यापम बनाम शिवराज
पर अब धीरे धीरे राज खुल कर आ रहे हैं और देश के जंवाई राजा के जमीन घोटालों के राज भी अब परत दर परत खुलते जा रहे हैं अत: जीजू की पिटाई से पहिले सरकार फूंक फूंक कर कदम रख लेना चाहती है ताकी मामला कान से अंजाम तक पंहुचे..
वैसे तो पप्पू का पूरा परिवार मोदी सरकार के आने के बाद से ही सांसत में है
इसलिए
इन भेंगों ने आँखे तो किसानों, व्यापम ललित मोदी बनाम सुषमा वसुन्धरा की तरफ कर रखी हैं पर नज़र इनकी वाड्रा को बचाने में लगी हुईं है.
पर अब तो जल्दी इन भेंगे गुरू घण्टालों की ही झालर बजने वाली है.
प्यारे..
फिलहाल तो चलेगा
पर क्या होगा, जब
जनाब वाड्रा पिटेगा
Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit