महात्मा गांधी की हत्या हुई जब पूरा हिन्दुस्तान हिन्दू मुसलमां दंगों की भीषण आग से धू-धू जल रहा था
कत्ल और वहशियत से पूरा देश लहू लुहान हो चुका था इतने बड़े पैमाने पर हुए कत्लेआम ने इतिहास को भी झिंझोड़ डाला था
जबकी देश के नवज़ात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पूर्णत: चाक चौबन्द सुरक्षा में सुरक्षित थे
वहीं देश के बुजुर्ग राष्ट्रपिता वर्धा आश्रम में सरकण्डों की झोंपड़ी में सुरक्षा इन्तज़ामात के बिना मौत के इन्तजार में थे.
क्या नेहरू नहीं जानते थे की बापू की जान को कोई खतरा है??
गौडसे ने उन्हे प्रार्थना सभा में सबके सामने ही क्यूं मारा??
RSS या कोई भी हिन्दू संगठन, लोकप्रिय जननायक राष्ट्रपिता का एक हिन्दू के हाथों हिन्दू से ही और वो भी इस तरह से खुल्लम खुल्ला खून करवा कर भला अपने माथे कलंक क्यूं लेगा? जबकी चुपचाप रात के अन्धेरे में छुप कर भी इस कृत्य को बड़ी आसानी से अंजाम दिलवाया जा सकता था.
गौडसे ने जानबूझ कर बापू को सबके सामने मारा था यानी की उसने खुद को प्रचारित करने के लिए यह घिनौना काम किया था वर्ना गौडसे को इस देश का कोई कव्वा भी नहीं जानता साथ ही गौडसे मात्र एक प्यादा था जिसके हाथों यह कृत्य करवा कर कोई अपने गले की हड्डी को हटवा कर देश पर निर्विघ्न शासन करना चाहता था और इन्होने ही नेहरू के सैक्यूलर वाद बनाम हिन्दू कट्टरता का पजामा सिल कर इस देश को उम्र भर के लिए पहना दिया.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे लौह पुरूष, मोम की तरह पिघला कर इसी कांग्रेस इतिहास के एक बीता हुआ कल बना दिए गए.
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सुभाष चन्द्र बोस की हत्या
महात्मा गांधी की भी हत्या
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यह दोनों हत्याएं कांग्रेस के नेहरू ग्रुप की यह एक बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत थी.
वर्ना
आधी सदी तक एक छत्र रूप से यह बहरूपिया गाँधी परिवार इस देश पर किसी भी हालत में राज नहीं कर सकता था.
एसे
इनके बहुत से छुपे घिनौने सच देश के लोगों के सामने ना आ जाएं, और यह #नकली_कांग्रेस हमेशा हमेशा के लिए जनमानस के मन से तिरोहित ना हो जाए.
इसके लिए आजकल एक कर्मठ सरकार को बेवज़ह मुर्दों की कब्र पर जबरदस्ती घेर घेर कर उनसे रस्साकस्सी की जा रही है, ताकी एन-केन-प्रकारेण संसद में गतिरोध खड़ा करके लोगों के मन में झूठे भ्रम पैदा किए जा सकें.
जबकी उन सभी कब्रों में कांग्रेस की अपनी ही बहुत सी काली रूहें दफ्न हैं.
कत्ल और वहशियत से पूरा देश लहू लुहान हो चुका था इतने बड़े पैमाने पर हुए कत्लेआम ने इतिहास को भी झिंझोड़ डाला था
जबकी देश के नवज़ात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पूर्णत: चाक चौबन्द सुरक्षा में सुरक्षित थे
वहीं देश के बुजुर्ग राष्ट्रपिता वर्धा आश्रम में सरकण्डों की झोंपड़ी में सुरक्षा इन्तज़ामात के बिना मौत के इन्तजार में थे.
क्या नेहरू नहीं जानते थे की बापू की जान को कोई खतरा है??
गौडसे ने उन्हे प्रार्थना सभा में सबके सामने ही क्यूं मारा??
RSS या कोई भी हिन्दू संगठन, लोकप्रिय जननायक राष्ट्रपिता का एक हिन्दू के हाथों हिन्दू से ही और वो भी इस तरह से खुल्लम खुल्ला खून करवा कर भला अपने माथे कलंक क्यूं लेगा? जबकी चुपचाप रात के अन्धेरे में छुप कर भी इस कृत्य को बड़ी आसानी से अंजाम दिलवाया जा सकता था.
गौडसे ने जानबूझ कर बापू को सबके सामने मारा था यानी की उसने खुद को प्रचारित करने के लिए यह घिनौना काम किया था वर्ना गौडसे को इस देश का कोई कव्वा भी नहीं जानता साथ ही गौडसे मात्र एक प्यादा था जिसके हाथों यह कृत्य करवा कर कोई अपने गले की हड्डी को हटवा कर देश पर निर्विघ्न शासन करना चाहता था और इन्होने ही नेहरू के सैक्यूलर वाद बनाम हिन्दू कट्टरता का पजामा सिल कर इस देश को उम्र भर के लिए पहना दिया.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे लौह पुरूष, मोम की तरह पिघला कर इसी कांग्रेस इतिहास के एक बीता हुआ कल बना दिए गए.
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सुभाष चन्द्र बोस की हत्या
महात्मा गांधी की भी हत्या
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यह दोनों हत्याएं कांग्रेस के नेहरू ग्रुप की यह एक बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत थी.
वर्ना
आधी सदी तक एक छत्र रूप से यह बहरूपिया गाँधी परिवार इस देश पर किसी भी हालत में राज नहीं कर सकता था.
एसे
इनके बहुत से छुपे घिनौने सच देश के लोगों के सामने ना आ जाएं, और यह #नकली_कांग्रेस हमेशा हमेशा के लिए जनमानस के मन से तिरोहित ना हो जाए.
इसके लिए आजकल एक कर्मठ सरकार को बेवज़ह मुर्दों की कब्र पर जबरदस्ती घेर घेर कर उनसे रस्साकस्सी की जा रही है, ताकी एन-केन-प्रकारेण संसद में गतिरोध खड़ा करके लोगों के मन में झूठे भ्रम पैदा किए जा सकें.
जबकी उन सभी कब्रों में कांग्रेस की अपनी ही बहुत सी काली रूहें दफ्न हैं.
- Keshav Purohit
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