नीतीश कुमार भाजपा की सीढ़ीयों के सहारे पेड़ के ऊपर चढ़े थे
और सुखी थे
किन्तु भाजपा को लात मारकर अब लालू प्रसाद के कन्धे के सहारे उस स्थिती में आ खड़े हुए हैं जैसे बन्दर मगरमच्छ की दोस्ती में बन्दर मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो कर नदी में सैर पर निकल पड़ा हो और बीच मंझधार में पंहुच कर मगरमच्छ ने मन की बात कह डाली हो की बेटा मुझे तो अब तेरा कलेजा खाना है
नीतीश अभी तो यह कर बच रहे हैं की,
हम दोनों मिल कर पहिले बिहार का कलेजा खालें..
और सुखी थे
किन्तु भाजपा को लात मारकर अब लालू प्रसाद के कन्धे के सहारे उस स्थिती में आ खड़े हुए हैं जैसे बन्दर मगरमच्छ की दोस्ती में बन्दर मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो कर नदी में सैर पर निकल पड़ा हो और बीच मंझधार में पंहुच कर मगरमच्छ ने मन की बात कह डाली हो की बेटा मुझे तो अब तेरा कलेजा खाना है
नीतीश अभी तो यह कर बच रहे हैं की,
हम दोनों मिल कर पहिले बिहार का कलेजा खालें..
पर मगरमच्छ तो मगरमच्छ ही है वो बिहार को भी खाएगा और नीतिश को भी..
देखतें हैं बन्दर अब कब तक खैरियत से रह पाता है
यानी की
बन्दर खुद तो डूबा सो डूबा और बिहार के भी ले डूबा..
अब तकदीर से यदि बिहार में भाजपा की सरकार आ गई तो कम से कम बिहार तो बच जाएगा
पर अब बन्दर तो दोनों ही हालत में गया काम से
बन्दर को कौन बचाएगा??
बेचारा बन्दर
कहावत है
पानी पीना छान कर और
दोस्ती करो देख भाल कर
देखतें हैं बन्दर अब कब तक खैरियत से रह पाता है
यानी की
बन्दर खुद तो डूबा सो डूबा और बिहार के भी ले डूबा..
अब तकदीर से यदि बिहार में भाजपा की सरकार आ गई तो कम से कम बिहार तो बच जाएगा
पर अब बन्दर तो दोनों ही हालत में गया काम से
बन्दर को कौन बचाएगा??
बेचारा बन्दर
कहावत है
पानी पीना छान कर और
दोस्ती करो देख भाल कर
- Keshav Purohit
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