कांग्रेसी छ: दशक की घालम पेल न आम आदमी का हर चीज पर से विश्वास उठा दिया है,
क्या सत्य है? क्या असत्य है?? सब गड मड है
ना न्याय प्रणाली पर ना ही सरकार पर.. अब किसी को विश्वास है, ना हो पाता है.
और इस दरिद्र मानसिकता का राजनीतीक फायदा भी चमत्कारिक रूप से इन्ही स्वार्थी लोगों को ही मिल रहा है.
देश में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है.
लोग लाशों से अपना घर बना लेना चाहते हैं
लाश किस की? इस सब से उन्हे कोई मतलब नहीं बस उनकी खुद की नहीं होनी चाहिए. लाशों की सडान्ध उनके अहं को तुष्ठ करती हैं
स्थिती इतनी खराब हो चुकी है
की याकूब जैसे खूंखार आतंकी.. का फेस बुक पर खुल्लमखुल्ला मार्मिक बचाव
यानी आतंकी मानसिकता को पोषण.
- Keshav Purohit
क्या सत्य है? क्या असत्य है?? सब गड मड है
ना न्याय प्रणाली पर ना ही सरकार पर.. अब किसी को विश्वास है, ना हो पाता है.
और इस दरिद्र मानसिकता का राजनीतीक फायदा भी चमत्कारिक रूप से इन्ही स्वार्थी लोगों को ही मिल रहा है.
देश में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है.
लोग लाशों से अपना घर बना लेना चाहते हैं
लाश किस की? इस सब से उन्हे कोई मतलब नहीं बस उनकी खुद की नहीं होनी चाहिए. लाशों की सडान्ध उनके अहं को तुष्ठ करती हैं
स्थिती इतनी खराब हो चुकी है
की याकूब जैसे खूंखार आतंकी.. का फेस बुक पर खुल्लमखुल्ला मार्मिक बचाव
यानी आतंकी मानसिकता को पोषण.
जिसने अपने राक्षसी कार्य से सैंकड़ों बेकसूर लोगों को बेवज़ह मौत की
नीन्द सुला डाला, कई हजारों बच्चे बेवजह अनाथ कर दिए गए, जिनके मां बाप का
कसूर सिर्फ इतना सा था की मौका ए वारदात के समय वे रोजाना की तरह सड़क पर
रेहड़ी लगा कर जैसे तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे.
सैंकड़ों बेकसूरों के निर्मम हत्याओं के हत्यारे को मात्र एक फांसी की सजा सुनाए जाने को किसी भी दृष्टिकोण से नाजायज कहना??
और अपनी देशद्रोही सोच को मार्मिक शब्दों के जाल से न्यायोचित ठहराना???
यह खतरनाक रूप से घिनौने से भी घिनौना कृत्य ही कहा जा सकता है
इस देश द्रोही को मौत की सजा से भी कड़ा कोई और दण्ड भी दिया जाता तो शायद वह भी अपर्याप्त होता.
यतीम मासूमों और असमय जिस्मों से कत्ल की गईं भटकती रूहों के कातिल याकूब मेमन की फेस बुक पर मार्मिकता से पैरवी होने पर मौन आकाश भी बेजुबां आत्माओं चीत्कारों से गूंज उठता होगा
देशद्रोही मानसिकता तो पोषित होही रही है
इन्हे ना खुदा माफ करे
ना कभी ईश्वर
ना वे बेगुनाह कत्ल मृत आत्माएं
जो इन राक्षसों के जुल्मों से
अनन्त में भटक रही हैं
जिन्हे ना जाने कब मोक्ष मिलेगा..
सैंकड़ों बेकसूरों के निर्मम हत्याओं के हत्यारे को मात्र एक फांसी की सजा सुनाए जाने को किसी भी दृष्टिकोण से नाजायज कहना??
और अपनी देशद्रोही सोच को मार्मिक शब्दों के जाल से न्यायोचित ठहराना???
यह खतरनाक रूप से घिनौने से भी घिनौना कृत्य ही कहा जा सकता है
इस देश द्रोही को मौत की सजा से भी कड़ा कोई और दण्ड भी दिया जाता तो शायद वह भी अपर्याप्त होता.
यतीम मासूमों और असमय जिस्मों से कत्ल की गईं भटकती रूहों के कातिल याकूब मेमन की फेस बुक पर मार्मिकता से पैरवी होने पर मौन आकाश भी बेजुबां आत्माओं चीत्कारों से गूंज उठता होगा
देशद्रोही मानसिकता तो पोषित होही रही है
इन्हे ना खुदा माफ करे
ना कभी ईश्वर
ना वे बेगुनाह कत्ल मृत आत्माएं
जो इन राक्षसों के जुल्मों से
अनन्त में भटक रही हैं
जिन्हे ना जाने कब मोक्ष मिलेगा..
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