Thursday 23 July 2015

कांग्रेसी काला फन और ज़हरीली फ़ुफ़कार‬

"कांग्रेस को घोटालों से बड़ा प्रेम है" इसके बिना उसका कोई वज़ूद ही नहीं है.
सिक्के के ऊपर गांधी है, तो सिक्के नीचे घोटाला है
आप कैसे भी टॉस कर लें देश का बण्टाढार ही होता है.
गये दस साल इसने बड़े बड़े घोटालों के साये में निकाल दिए थे
पर यह एक साल उस से बिताए नहीं बीत रहा था.
यह पार्टीं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती की कोई भी सरकार बिना घोटाला किए पूरा एक साल आखिर कैसे निकाल सकती है??

यह हो ही नहीं सकता.. इसलिए यह घोटाला रहित एक साल कांग्रेस के मर्म पर बहुत गहरी चोट लगा गया. अत: उसका "दम्भ" काले नाग के फन की तरह रोज फैलता ही जा रहा था.. किन्तु आखिर वह काटे भी तो किस को जा कर काटे??
भूखा नाग जब खाने को कुछ नहीं मिलता है तो किसी पानी के छोटे मोटे गढ्ढों में छुपे हुए किसी मेंढक को चट कर के अपनी क्षुधा शान्त करता है किन्तु जब वह भी ना मिल पाए तो भूख की बैचेनी से फुंफकारें मार मार कर हवा में जहर फेंक कर आसपास के वातावरण को दूषित करने लगता है
भूखा कांग्रेसी नाग गत साल में कोई नया शिकार हाथ नहीं आने के कारण पुराने गड्ढे में से ललित मोदी को पकड़ कर ले आया फिर व्यापम से अपने अहम की तुष्ठी करता रहा, पर अब इन सबमें से निकल कर ठोस कुछ भी निकलता दिखाई नहीं दे रहा है तो अब उसके पास संसद के इस मानसून सत्र में सिवा फुंफकारे मार मार कर माहौल बिगाड़ने के अलावा शेष कुछ भी बचा नहीं है
....पढ़े लिखे को फारसी क्या, आप खुद सोचिए
उक्त सभी मामलों में अगर जरा सा भी कुछ दम होता और कोई पुख्ता सबूत होते तो अब तक कांग्रेस खुद FIR के साथ कोर्ट में मामले को खींच कर संसद में ज़नाब मोदी सरकार को चारों खाने चित्त कर चुकी होती.
तो पप्पू भैया के हाथी के दांत खाने के और हैं दिखाने के और.
इसलिए इन शातिर शकीलों का मकसद सिर्फ
फजूल में सिर्फ शोर मचाना है
झूठे दोषारोपण कर के खुद को साहूकार बनाना और मोदी सरकार के अब तक के सभी सकारात्मक प्रयासों को जनता से छुपाना है ताकी देश की हो रही प्रगती की सच्चाईयां जनता के सामने ना आ सके
संसद को ना चलने देने के पीछे यही नकारात्मकता छुपी हुई है.
भैया देश और देश की जनता को हम तब भी ले डूबे थे जब हम खुद सरकार में बैठे थे और अब भी ले डूबेगे अब जब हम विपक्ष में हैं
हमें इन सैक्यूलर ढ़ोगियों की इस विध्वंसकारी सोच को भली भांती समझ लेना चाहिए.
- Keshav Purohit

‎संसद मानसून सत्र और खुलजा सिम सिम‬

विपक्ष चाहे कितना ही शोर मचाए पर आज मानसून सत्र के पहिले दिन यह तो साफ हो गया की विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दे नहीं है सिवाय शोर मचाने के..
ललित मोदी मुद्दा लल्लू साबित हो रहा है अभी तो सिर्फ 'व्यापम' को ही कांग्रेस भुना कर कुछ आस्तीन चढ़ा पाएगी पर यह ज्यादा चढ़ी आस्तीन आने वाले दिनों में कांग्रेस के ही गले का फन्दा बनने वाला है इस असलियत से वह अवचेतन में जान कर डरी हुई भी है. किन्तु फिलहाल तात्कालिक लाभ लेने के लिए वह पूरी तरह से लालायित भी है.
'व्यापम' में अधिकांश हत्यायें केन्द्र में UPA Govt. की पूर्ण मौजूदगी के दौरान में ही हुई हैं, प्रश्न उठता है तब क्यूं नहीं CBI की मांग उठी? केन्द्र ने तब इसमें गहराई में जा कर, तब क्यूं नहीं दिलचस्पी ली??
जबकी विधानसभा चुनावों में शिवराज को घेरने और शिकस्त देने का यह एक स्वर्णिम मुद्दा था फिर भी जानबूझ कर क्यूं आँख मींच ली गई??
यह सब जानते हैं व्यापम में हत्यायें सबूत मिटाने के लिए की जा रहीं थीं तो क्या वे पूर्व में हुई सभी हत्याओं से जुड़े सबूत कांग्रेस के थे? यानी की चतुराई से पहले अपना दामन साफ करो और फिर गाँधी जी को याद करो और फिर जैसे ही मौका लगे, फिर चप्पल उठा कर साहूकार बन जाओ और फिर अपना मजा लो.
मध्यप्रदेश फिलहाल आनेवाले समय में विवादों से घिरा रहने वाला है किन्तु जैसे जैसे जांच अपने चरम पर पंहुचेगी यह तय है कांग्रेस की और डिग्गी राजा दोनों की लुटिया डूबेगी. क्यूं की व्यापम की जड़ों में इनके हाथ की ही रखी हुई ईंटे जो हैं लेकिन फिर भी साहूकारी!!
बेशर्मी और धूर्तता तो कोई इनसे सीखे.. बड़े मंजे हुए खिलाड़ी हैं
पूरा देश डकार जाने के बाद भी ये लोग आज भी भूखे के भूखे ही हैं और अब भी चाहते हैं की एन केन प्रकारेण कैसे भी अलीबाबा का खजाना फिर से इनके हाथों मे आ जाए..
- Keshav Purohit

याकूब मेमन का सच (Truth of Yakub Memon)

आज सोचा ‪‎याकूब मेमन‬ केस पर पूरी रिसर्च कर ही ली जाए.......आज पूरा मुस्लिम समाज इस फैसले पर नाराजगी दिखा रहा है ये कहकर की ये फैसला याकूब मेमन के मुस्लिम होने के कारण दिया गया है.......लो अब चौकने की बारी आपकी है.....मुंबई बम ब्लास्ट में 226 आरोपित बनाये गए, जिसमे से लगभग 100 भगोड़े घोषित हो गए जैसे दाऊद और टाइगर वगैरा, बाकी बचे 126 में से 12 हिन्दू थे जिसमे कस्टम और पुलिस के अधिकारी थे जिन्होंने हथियार और RDX के लिए safe passage मुहैया करवाया (संजय दत्त भी इनमे से एक था) इन 12 हिन्दुओ में से एक SN Thapa 2008 में चल बसे बाकियों को 5 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा हुई.........अब चौकने की बारी है, लगभग 53 मुस्लिमों ने तब के उपलब्ध prime accused याकूब के खिलाफ गवाही दी........अब ज़ोर का झटका धीरे से लगाता हूँ, अबू_असीम_आज़मी‬ नाम पहचान में आया? तो सुनो आज के अबू_आज़मी‬ (समाजवादी पार्टी वाले) भी तब टाडा कोर्ट में CBI द्वारा आरोपित थे, इन पर आरोप था इन्होंने बम ब्लास्ट के लिए ट्रेनिंग दिलवाने के लिए बंदो को पाकिस्तान भेजने के लिए टिकट का इंतज़ाम किया था (तब इनकी ट्रेवल एजेंसी थी), ये भी अपना गुनाह याकूब पर ड़ाल खुद को बेदाग़ साबित करवा आये 1998 में सुप्रीम कोर्ट से, हद है भाई.........आज यही सबसे ज़्यादा हल्ला मचा रहे है!
इस पुरे घटनाक्रम में याकूब को उसके नज़दीकियों ने ही गवाही देकर फंसाया, सबने एक मुश्त याकूब का नाम लिया.......अब ये बताओ कौन दोषी है, अबू आज़मी और तुम्हारी खुद की कौम के लोग याकि तब की कोई भी रही सरकार (वैसे तब शरद पवार महाराष्ट्र में और केंद्र में 5 साल छोड़ कांग्रेस की सरकार रही)
लिंक की अपेक्षा ना करो (कुछ के लिंक कमेंट बॉक्स में दिए जायेंगे) क्योंकि सबका लिंक देना पॉसिबल नहीं है, सिर्फ अबू आज़मी का टाडा कोर्ट का जजमेंट सर्च मार लो, दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

- Keshav Purohit

राष्ट्रपिता भक्तों का सैक्यूलरवाद‬

महात्मा गांधी की हत्या हुई जब पूरा हिन्दुस्तान हिन्दू मुसलमां दंगों की भीषण आग से धू-धू जल रहा था
कत्ल और वहशियत से पूरा देश लहू लुहान हो चुका था इतने बड़े पैमाने पर हुए कत्लेआम ने इतिहास को भी झिंझोड़ डाला था
जबकी देश के नवज़ात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पूर्णत: चाक चौबन्द सुरक्षा में सुरक्षित थे
वहीं देश के बुजुर्ग राष्ट्रपिता वर्धा आश्रम में सरकण्डों की झोंपड़ी में सुरक्षा इन्तज़ामात के बिना मौत के इन्तजार में थे.
क्या नेहरू नहीं जानते थे की बापू की जान को कोई खतरा है??
गौडसे ने उन्हे प्रार्थना सभा में सबके सामने ही क्यूं मारा??
RSS या कोई भी हिन्दू संगठन, लोकप्रिय जननायक राष्ट्रपिता का एक हिन्दू के हाथों हिन्दू से ही और वो भी इस तरह से खुल्लम खुल्ला खून करवा कर भला अपने माथे कलंक क्यूं लेगा? जबकी चुपचाप रात के अन्धेरे में छुप कर भी इस कृत्य को बड़ी आसानी से अंजाम दिलवाया जा सकता था.
गौडसे ने जानबूझ कर बापू को सबके सामने मारा था यानी की उसने खुद को प्रचारित करने के लिए यह घिनौना काम किया था वर्ना गौडसे को इस देश का कोई कव्वा भी नहीं जानता साथ ही गौडसे मात्र एक प्यादा था जिसके हाथों यह कृत्य करवा कर कोई अपने गले की हड्डी को हटवा कर देश पर निर्विघ्न शासन करना चाहता था और इन्होने ही नेहरू के सैक्यूलर वाद बनाम हिन्दू कट्टरता का पजामा सिल कर इस देश को उम्र भर के लिए पहना दिया.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे लौह पुरूष, मोम की तरह पिघला कर इसी कांग्रेस इतिहास के एक बीता हुआ कल बना दिए गए.
___________________
सुभाष चन्द्र बोस की हत्या
महात्मा गांधी की भी हत्या
____________________
यह दोनों हत्याएं कांग्रेस के नेहरू ग्रुप की यह एक बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत थी.
वर्ना
आधी सदी तक एक छत्र रूप से यह बहरूपिया गाँधी परिवार इस देश पर किसी भी हालत में राज नहीं कर सकता था.
एसे
इनके बहुत से छुपे घिनौने सच देश के लोगों के सामने ना आ जाएं, और यह ‪#‎नकली_कांग्रेस‬ हमेशा हमेशा के लिए जनमानस के मन से तिरोहित ना हो जाए.
इसके लिए आजकल एक कर्मठ सरकार को बेवज़ह मुर्दों की कब्र पर जबरदस्ती घेर घेर कर उनसे रस्साकस्सी की जा रही है, ताकी एन-केन-प्रकारेण संसद में गतिरोध खड़ा करके लोगों के मन में झूठे भ्रम पैदा किए जा सकें.
जबकी उन सभी कब्रों में कांग्रेस की अपनी ही बहुत सी काली रूहें दफ्न हैं.

Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit

गरीब किसानों के जमीनों की हक की लड़ाई‬ और क्यूं परेशां हैं वाड्रा के ससुराल वाले

एक माड़ सा (सरकारी स्कूल के 'सर' को बच्चे प्यार से माड़ सा कहते हैं) भेंगें थे, मैं उनसे कई बार पिट गया..
होता यह था की मेरी गलती पर वो क्लास में किसी और लड़के को डांटते थे और मैं सोचता, कि चलो मैं बच निकला! और खुशी के मारे मुस्कुराने लगता पर जब कान ऐंठ कर.. बाकी जब धूम धड़ाका होता..
तब आंसुओं के साथ समझ में आ जाता था की माड़सा का मुंह उत्तर में था पर देख दक्षिण में ही रहे थे
वही हाल आजकल मैडम सास और बेटे पप्पू का है पहिले किसानों की जमीन
फिर सुषमा स्वराज
वसुन्धरा राजे
व्यापम बनाम शिवराज
पर अब धीरे धीरे राज खुल कर आ रहे हैं और देश के जंवाई राजा के जमीन घोटालों के राज भी अब परत दर परत खुलते जा रहे हैं अत: जीजू की पिटाई से पहिले सरकार फूंक फूंक कर कदम रख लेना चाहती है ताकी मामला कान से अंजाम तक पंहुचे..
वैसे तो पप्पू का पूरा परिवार मोदी सरकार के आने के बाद से ही सांसत में है
इसलिए
इन भेंगों ने आँखे तो किसानों, व्यापम ललित मोदी बनाम सुषमा वसुन्धरा की तरफ कर रखी हैं पर नज़र इनकी वाड्रा को बचाने में लगी हुईं है.
पर अब तो जल्दी इन भेंगे गुरू घण्टालों की ही झालर बजने वाली है.
प्यारे..
फिलहाल तो चलेगा
पर क्या होगा, जब
जनाब वाड्रा पिटेगा
Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit

What Mr Shashi Tharoor Had role in Sunanda Pushkar case.

No matter what Mr Shashi Tharoor Had role in Sunanda Pushkar case, But he won hearts of true Indian by a great speech In Oxford. The Only Congress - Man who talk like Nationalist.

Watch This Video Now: https://youtu.be/f7CW7S0zxv4

Monday 20 July 2015

Indian Politics: ‎नकारात्मक खानदान की नकारात्मक राजनीती‬

एक गुरू का बहुत बड़ा आश्रम था गुरु वृद्ध हो चले थे आश्रम का कार्यभार वे किसी होनहार और कर्मठ शिष्य को सौंपना चाहते थे, अतः उन्होंने अपने सभी शिष्यों को बारी बारी बुलाया
गुरु जी ने
जमीन पर दो रेखाएं खींची
एक 'छोटी रेखा और एक बड़ी रेखा'
और बारी बारी कर के अपने शिष्यों को कहा दोनों रेखाओं को एक समान कर दो, यानी इनको आपस में बराबर कर दो.
जो भी शिष्य आता वो बड़ी रेखा को मिटा कर छोटी के बराबर कर देता.
सिर्फ एक शिष्य ने छोटी रेखा पर अपनी उंगली रखी और उसे आगे तक खींच कर लंबा कर के बड़ी रेखा के बराबर कर दिया. गुरु ने उस शिष्य को गले भी लगाया और सारे आश्रम का कार्य भार इस शिष्य को सौंप दिया, पर किसी को भी यह नहीं बताया की उन्होने किस आधार पर यह आश्रम इस शिष्य को सौंपा है
अब सारे शिष्य इस होन-हार शिष्य के खिलाफ लामबंद होना शुरू हो गए वे रोज उत्पात मचाते और गुरू को जा जा कर शिकायत करते की आश्रम व्यवस्था दिन ब दिन खराब हो रही है, आश्रम में लोग बहुत परेशान रहने लगे हैं
किन्तु गुरू चुप रहते.
गुरू देख रहे थे की उनका वह होनहार शिष्य रात-दिन अपने काम में ही लगा रहता था और उसके अथक परिश्रम से आश्रम व्यवस्था भी उत्तरोत्तर बेहतर होती जा रही थी
हां आश्रम में यदि कुछ खराब और ठीक नहीं था तो वो ये सारे नकारात्मक लोग थे, जो ईर्ष्या और द्वेष के वशीभूत उस होनहार शिष्य के खिलाफ लामबंद हो कर अव्यवस्था और अराजकता फैलाने में लगे हुए थे, ये सारे नालायक उस कर्मठ शिष्य को गलत साबित करने के लिए झूठी चुगलियां और लोगों को भड़काने में ही दिन-रात लगे रहते थे.
गांधी परिवार ने इस देश में यही सब तो किया है, अपनी छोटी रेखा को बड़ी बनाने के लिए दूसरों की बड़ी रेखाओं को ही मिटाते ही रहे..
गुजरात में
पहली बार देश की जनता ने देखा था की नरेंद्र मोदी जी पिछले पंद्रह सालों में कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद कर्मठता की रेखा को वे दिन ब दिन लम्बी ही करते गए जबकि गांधी परिवार उसे छोटी करने के लिए अपना सर पटक पटक के रह गया था
तब भारत की जनता ने एक उसी सधे हुए गुरू की तरह पूरा देश नरेन्द्र मोदी जी के हांथों में सौंप दिया..
और तब से देश उत्तरोत्तर उन्नति की और अग्रसर होता जा रहा है
किन्तु कांग्रेस सहित सारे लम्पटदल लामबंद हो कर पिछले एक साल से लगातार जी तोड़ कोशीशों में लगे हुए हैं की मोदी जी को, येन केन प्रकारेण छोटा कर दिया जाए..
जो दिल में होता है वो आखिरकार मुंह पर आ ही जाता है
राजस्थान में आज राहुल गांधी बड़े जोश से चीख चीख कर कह रहे थे की हम मोदी जी के 56" (इंच) के सीने को मात्र छः महीने में 5.6" यानी साढ़े पांच इंच का बना देंगे और इतना सुनते ही तमाम नपुसंक कांग्रेसी चमचे जोर जोर से तालियां पीट रहे थे
अरे दुष्टो!! पिछले साठ सालों में तुमने किया भी क्या है??. इसमें नया तुम करने भी क्या जा रहे हो??
देश तुमसे, इस से ज्यादा उम्मीद भी क्या करेगा???? तुम्हारे DNA का structure ही ऐसा है, जिसमें सिर्फ नकारात्मक उर्जा बहती है..
जी मिचलाने लगता है एसे लोगों को देख कर..
पर इन्हे शर्म आना तो दूर..
ये लोग इसे ही अपनी दिलेरी और ताकत मानते हैं
UPA के दौरान शहीद हेमराज का सिर पाकिस्तानी काट कर ले गए तब ये राहुल पाकिस्तान के उस सीने पर चुप क्यूं बैठे रहे??
नरेंद्र मोदी जी ने तो मात्र एक साल में ही हेमराज के सिर का बदला ले लिया..
अब पप्पू बेटा यह 56" (इंच) का कमाल नहीं है तो और क्या है? किन्तु तुम तो मोदी जी का ही सीना घटाने की सुपारी ले रहे हो...
आप भला पाकिस्तान की तरह खिसियाये हुए क्यूं हैं? कोई याराना है क्या?
हाँ यदी राहुल गांधी यह कहते की 56" (इंच) की जगह हम खुद अपना सीना 58" (इंच) का बना कर बताएँगे तो कुछ सकारात्मक बात होती.
लेकिन ज़हर पीने वाला ज़हर ही तो उगलेगा.
तो भैया.. जिस व्यक्ति के पास ना दिल है ना आत्मा है.. तो सीना क्या होता है? वो क्या जाने??
घोटालों के पैसों से भीड़ इकट्ठी करना फिर उछलते रहना और अहं के पागलपन में रात दिन अनर्गल बकते रहने (delirium) से साफ जाहिर है की पूरे देश की तिजोरी हाथ से निकल जाने की यह कोरी खिसियानी भड़ास है.
इसलिए आजकल पागल की तरह मुठ्ठीयां भींच रहे हैं और आस्तीनें चढ़ा रहे हैं..

- Keshav Purohit

बन्दर और मगरमच्छ‬

नीतीश कुमार भाजपा की सीढ़ीयों के सहारे पेड़ के ऊपर चढ़े थे
और सुखी थे
किन्तु भाजपा को लात मारकर अब लालू प्रसाद के कन्धे के सहारे उस स्थिती में आ खड़े हुए हैं जैसे बन्दर मगरमच्छ की दोस्ती में बन्दर मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो कर नदी में सैर पर निकल पड़ा हो और बीच मंझधार में पंहुच कर मगरमच्छ ने मन की बात कह डाली हो की बेटा मुझे तो अब तेरा कलेजा खाना है
नीतीश अभी तो यह कर बच रहे हैं की,
हम दोनों मिल कर पहिले बिहार का कलेजा खालें..

पर मगरमच्छ तो मगरमच्छ ही है वो बिहार को भी खाएगा और नीतिश को भी..
देखतें हैं बन्दर अब कब तक खैरियत से रह पाता है
यानी की
बन्दर खुद तो डूबा सो डूबा और बिहार के भी ले डूबा..
अब तकदीर से यदि बिहार में भाजपा की सरकार आ गई तो कम से कम बिहार तो बच जाएगा
पर अब बन्दर तो दोनों ही हालत में गया काम से
बन्दर को कौन बचाएगा??
बेचारा बन्दर
कहावत है
पानी पीना छान कर और
दोस्ती करो देख भाल कर
Purohit Keshav's photo. 
  - Keshav Purohit

सरकारी पागलखाने में पागल श्वान‬

एक सरकारी पागलखाने में अन्ना जैसा कोई शरारती समाजसेवी एक पागल कुत्ते को पागलखाने की सुरक्षा के नाम पर अन्दर घुसा गया.
अब वो पागल कुत्ता एक वार्ड में जा कर जो सामने मिल जाए उसे काटने लगा तो अब जो पागल दूसरे वार्डों में थे वो भी भाग भाग कर वहां आने लगे जहां वह कुत्ता सबको काट रहा था.
वहां अजीबो गरीब दृष्य खड़ा हो गया, हडकंम्प चीख चिल्लाहट तो मच गई पर जिनको वह कुत्ता काट रहा था वे सब रो रहे थे किन्तु जिनका अभी नम्बर नहीं आया था वह हंस रहे थे ताली पीट पीट कर नाच रहे थे और कुछ दिल्ली वासियों की तरह कभी रोते तो कभी उसके समर्थन में नारे लगाते..
किन्तु उस पागल कुत्ते को वहां से भगाने और समस्या खत्म करवा देने के लिए कोई समझदार व्यक्ती मौजूद ही नहीं..
यही रवैया इस देश में अरविन्द केजरीवाल और आप पार्टी को लेकर है
आए दिन
ठुळ्या जैसे कई बैसिर पैर के कटखन्ने विवाद..
आखिर यह सब क्या हैं??

Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit

जिन्द याकूब की पैरवी में जिन्दा मृत आत्माएं‬

कांग्रेसी छ: दशक की घालम पेल न आम आदमी का हर चीज पर से विश्वास उठा दिया है,
क्या सत्य है? क्या असत्य है?? सब गड मड है
ना न्याय प्रणाली पर ना ही सरकार पर.. अब किसी को विश्वास है, ना हो पाता है.
और इस दरिद्र मानसिकता का राजनीतीक फायदा भी चमत्कारिक रूप से इन्ही स्वार्थी लोगों को ही मिल रहा है.
देश में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है.
लोग लाशों से अपना घर बना लेना चाहते हैं
लाश किस की? इस सब से उन्हे कोई मतलब नहीं बस उनकी खुद की नहीं होनी चाहिए. लाशों की सडान्ध उनके अहं को तुष्ठ करती हैं
स्थिती इतनी खराब हो चुकी है
की याकूब जैसे खूंखार आतंकी.. का फेस बुक पर खुल्लमखुल्ला मार्मिक बचाव
यानी आतंकी मानसिकता को पोषण.

जिसने अपने राक्षसी कार्य से सैंकड़ों बेकसूर लोगों को बेवज़ह मौत की नीन्द सुला डाला, कई हजारों बच्चे बेवजह अनाथ कर दिए गए, जिनके मां बाप का कसूर सिर्फ इतना सा था की मौका ए वारदात के समय वे रोजाना की तरह सड़क पर रेहड़ी लगा कर जैसे तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे.
सैंकड़ों बेकसूरों के निर्मम हत्याओं के हत्यारे को मात्र एक फांसी की सजा सुनाए जाने को किसी भी दृष्टिकोण से नाजायज कहना??
और अपनी देशद्रोही सोच को मार्मिक शब्दों के जाल से न्यायोचित ठहराना???
यह खतरनाक रूप से घिनौने से भी घिनौना कृत्य ही कहा जा सकता है
इस देश द्रोही को मौत की सजा से भी कड़ा कोई और दण्ड भी दिया जाता तो शायद वह भी अपर्याप्त होता.
यतीम मासूमों और असमय जिस्मों से कत्ल की गईं भटकती रूहों के कातिल याकूब मेमन की फेस बुक पर मार्मिकता से पैरवी होने पर मौन आकाश भी बेजुबां आत्माओं चीत्कारों से गूंज उठता होगा
देशद्रोही मानसिकता तो पोषित होही रही है
इन्हे ना खुदा माफ करे
ना कभी ईश्वर
ना वे बेगुनाह कत्ल मृत आत्माएं
जो इन राक्षसों के जुल्मों से
अनन्त में भटक रही हैं
जिन्हे ना जाने कब मोक्ष मिलेगा..
Purohit Keshav's photo. 
- Keshav Purohit

चीन इतना पैसा क्यू फेंक रहा है

चीन इतना पैसा क्यू फेंक रहा है
की देश का दिमाग और जुबां भी अब
देशद्रोहियों की वकालत करने लगीं हैं
दुख इस बात का नहीं है की चीन क्या करता है
दुख है इस बात का की जो अपनी ही मां का दूध चन्द रूपयों की खातिर लजा रहे हैं