"कांग्रेस को घोटालों से बड़ा प्रेम है" इसके बिना उसका कोई वज़ूद ही नहीं है.
सिक्के के ऊपर गांधी है, तो सिक्के नीचे घोटाला है
आप कैसे भी टॉस कर लें देश का बण्टाढार ही होता है.
गये दस साल इसने बड़े बड़े घोटालों के साये में निकाल दिए थे
पर यह एक साल उस से बिताए नहीं बीत रहा था.
यह पार्टीं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती की कोई भी सरकार बिना घोटाला किए पूरा एक साल आखिर कैसे निकाल सकती है??
सिक्के के ऊपर गांधी है, तो सिक्के नीचे घोटाला है
आप कैसे भी टॉस कर लें देश का बण्टाढार ही होता है.
गये दस साल इसने बड़े बड़े घोटालों के साये में निकाल दिए थे
पर यह एक साल उस से बिताए नहीं बीत रहा था.
यह पार्टीं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती की कोई भी सरकार बिना घोटाला किए पूरा एक साल आखिर कैसे निकाल सकती है??
यह हो ही नहीं सकता.. इसलिए यह घोटाला रहित एक साल कांग्रेस के मर्म पर
बहुत गहरी चोट लगा गया. अत: उसका "दम्भ" काले नाग के फन की तरह रोज फैलता
ही जा रहा था.. किन्तु आखिर वह काटे भी तो किस को जा कर काटे??
भूखा नाग जब खाने को कुछ नहीं मिलता है तो किसी पानी के छोटे मोटे गढ्ढों में छुपे हुए किसी मेंढक को चट कर के अपनी क्षुधा शान्त करता है किन्तु जब वह भी ना मिल पाए तो भूख की बैचेनी से फुंफकारें मार मार कर हवा में जहर फेंक कर आसपास के वातावरण को दूषित करने लगता है
भूखा कांग्रेसी नाग गत साल में कोई नया शिकार हाथ नहीं आने के कारण पुराने गड्ढे में से ललित मोदी को पकड़ कर ले आया फिर व्यापम से अपने अहम की तुष्ठी करता रहा, पर अब इन सबमें से निकल कर ठोस कुछ भी निकलता दिखाई नहीं दे रहा है तो अब उसके पास संसद के इस मानसून सत्र में सिवा फुंफकारे मार मार कर माहौल बिगाड़ने के अलावा शेष कुछ भी बचा नहीं है
....पढ़े लिखे को फारसी क्या, आप खुद सोचिए
उक्त सभी मामलों में अगर जरा सा भी कुछ दम होता और कोई पुख्ता सबूत होते तो अब तक कांग्रेस खुद FIR के साथ कोर्ट में मामले को खींच कर संसद में ज़नाब मोदी सरकार को चारों खाने चित्त कर चुकी होती.
तो पप्पू भैया के हाथी के दांत खाने के और हैं दिखाने के और.
इसलिए इन शातिर शकीलों का मकसद सिर्फ
फजूल में सिर्फ शोर मचाना है
झूठे दोषारोपण कर के खुद को साहूकार बनाना और मोदी सरकार के अब तक के सभी सकारात्मक प्रयासों को जनता से छुपाना है ताकी देश की हो रही प्रगती की सच्चाईयां जनता के सामने ना आ सके
संसद को ना चलने देने के पीछे यही नकारात्मकता छुपी हुई है.
भैया देश और देश की जनता को हम तब भी ले डूबे थे जब हम खुद सरकार में बैठे थे और अब भी ले डूबेगे अब जब हम विपक्ष में हैं
हमें इन सैक्यूलर ढ़ोगियों की इस विध्वंसकारी सोच को भली भांती समझ लेना चाहिए.
- Keshav Purohit
भूखा नाग जब खाने को कुछ नहीं मिलता है तो किसी पानी के छोटे मोटे गढ्ढों में छुपे हुए किसी मेंढक को चट कर के अपनी क्षुधा शान्त करता है किन्तु जब वह भी ना मिल पाए तो भूख की बैचेनी से फुंफकारें मार मार कर हवा में जहर फेंक कर आसपास के वातावरण को दूषित करने लगता है
भूखा कांग्रेसी नाग गत साल में कोई नया शिकार हाथ नहीं आने के कारण पुराने गड्ढे में से ललित मोदी को पकड़ कर ले आया फिर व्यापम से अपने अहम की तुष्ठी करता रहा, पर अब इन सबमें से निकल कर ठोस कुछ भी निकलता दिखाई नहीं दे रहा है तो अब उसके पास संसद के इस मानसून सत्र में सिवा फुंफकारे मार मार कर माहौल बिगाड़ने के अलावा शेष कुछ भी बचा नहीं है
....पढ़े लिखे को फारसी क्या, आप खुद सोचिए
उक्त सभी मामलों में अगर जरा सा भी कुछ दम होता और कोई पुख्ता सबूत होते तो अब तक कांग्रेस खुद FIR के साथ कोर्ट में मामले को खींच कर संसद में ज़नाब मोदी सरकार को चारों खाने चित्त कर चुकी होती.
तो पप्पू भैया के हाथी के दांत खाने के और हैं दिखाने के और.
इसलिए इन शातिर शकीलों का मकसद सिर्फ
फजूल में सिर्फ शोर मचाना है
झूठे दोषारोपण कर के खुद को साहूकार बनाना और मोदी सरकार के अब तक के सभी सकारात्मक प्रयासों को जनता से छुपाना है ताकी देश की हो रही प्रगती की सच्चाईयां जनता के सामने ना आ सके
संसद को ना चलने देने के पीछे यही नकारात्मकता छुपी हुई है.
भैया देश और देश की जनता को हम तब भी ले डूबे थे जब हम खुद सरकार में बैठे थे और अब भी ले डूबेगे अब जब हम विपक्ष में हैं
हमें इन सैक्यूलर ढ़ोगियों की इस विध्वंसकारी सोच को भली भांती समझ लेना चाहिए.
- Keshav Purohit