Monday 20 July 2015

Indian Politics: ‎नकारात्मक खानदान की नकारात्मक राजनीती‬

एक गुरू का बहुत बड़ा आश्रम था गुरु वृद्ध हो चले थे आश्रम का कार्यभार वे किसी होनहार और कर्मठ शिष्य को सौंपना चाहते थे, अतः उन्होंने अपने सभी शिष्यों को बारी बारी बुलाया
गुरु जी ने
जमीन पर दो रेखाएं खींची
एक 'छोटी रेखा और एक बड़ी रेखा'
और बारी बारी कर के अपने शिष्यों को कहा दोनों रेखाओं को एक समान कर दो, यानी इनको आपस में बराबर कर दो.
जो भी शिष्य आता वो बड़ी रेखा को मिटा कर छोटी के बराबर कर देता.
सिर्फ एक शिष्य ने छोटी रेखा पर अपनी उंगली रखी और उसे आगे तक खींच कर लंबा कर के बड़ी रेखा के बराबर कर दिया. गुरु ने उस शिष्य को गले भी लगाया और सारे आश्रम का कार्य भार इस शिष्य को सौंप दिया, पर किसी को भी यह नहीं बताया की उन्होने किस आधार पर यह आश्रम इस शिष्य को सौंपा है
अब सारे शिष्य इस होन-हार शिष्य के खिलाफ लामबंद होना शुरू हो गए वे रोज उत्पात मचाते और गुरू को जा जा कर शिकायत करते की आश्रम व्यवस्था दिन ब दिन खराब हो रही है, आश्रम में लोग बहुत परेशान रहने लगे हैं
किन्तु गुरू चुप रहते.
गुरू देख रहे थे की उनका वह होनहार शिष्य रात-दिन अपने काम में ही लगा रहता था और उसके अथक परिश्रम से आश्रम व्यवस्था भी उत्तरोत्तर बेहतर होती जा रही थी
हां आश्रम में यदि कुछ खराब और ठीक नहीं था तो वो ये सारे नकारात्मक लोग थे, जो ईर्ष्या और द्वेष के वशीभूत उस होनहार शिष्य के खिलाफ लामबंद हो कर अव्यवस्था और अराजकता फैलाने में लगे हुए थे, ये सारे नालायक उस कर्मठ शिष्य को गलत साबित करने के लिए झूठी चुगलियां और लोगों को भड़काने में ही दिन-रात लगे रहते थे.
गांधी परिवार ने इस देश में यही सब तो किया है, अपनी छोटी रेखा को बड़ी बनाने के लिए दूसरों की बड़ी रेखाओं को ही मिटाते ही रहे..
गुजरात में
पहली बार देश की जनता ने देखा था की नरेंद्र मोदी जी पिछले पंद्रह सालों में कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद कर्मठता की रेखा को वे दिन ब दिन लम्बी ही करते गए जबकि गांधी परिवार उसे छोटी करने के लिए अपना सर पटक पटक के रह गया था
तब भारत की जनता ने एक उसी सधे हुए गुरू की तरह पूरा देश नरेन्द्र मोदी जी के हांथों में सौंप दिया..
और तब से देश उत्तरोत्तर उन्नति की और अग्रसर होता जा रहा है
किन्तु कांग्रेस सहित सारे लम्पटदल लामबंद हो कर पिछले एक साल से लगातार जी तोड़ कोशीशों में लगे हुए हैं की मोदी जी को, येन केन प्रकारेण छोटा कर दिया जाए..
जो दिल में होता है वो आखिरकार मुंह पर आ ही जाता है
राजस्थान में आज राहुल गांधी बड़े जोश से चीख चीख कर कह रहे थे की हम मोदी जी के 56" (इंच) के सीने को मात्र छः महीने में 5.6" यानी साढ़े पांच इंच का बना देंगे और इतना सुनते ही तमाम नपुसंक कांग्रेसी चमचे जोर जोर से तालियां पीट रहे थे
अरे दुष्टो!! पिछले साठ सालों में तुमने किया भी क्या है??. इसमें नया तुम करने भी क्या जा रहे हो??
देश तुमसे, इस से ज्यादा उम्मीद भी क्या करेगा???? तुम्हारे DNA का structure ही ऐसा है, जिसमें सिर्फ नकारात्मक उर्जा बहती है..
जी मिचलाने लगता है एसे लोगों को देख कर..
पर इन्हे शर्म आना तो दूर..
ये लोग इसे ही अपनी दिलेरी और ताकत मानते हैं
UPA के दौरान शहीद हेमराज का सिर पाकिस्तानी काट कर ले गए तब ये राहुल पाकिस्तान के उस सीने पर चुप क्यूं बैठे रहे??
नरेंद्र मोदी जी ने तो मात्र एक साल में ही हेमराज के सिर का बदला ले लिया..
अब पप्पू बेटा यह 56" (इंच) का कमाल नहीं है तो और क्या है? किन्तु तुम तो मोदी जी का ही सीना घटाने की सुपारी ले रहे हो...
आप भला पाकिस्तान की तरह खिसियाये हुए क्यूं हैं? कोई याराना है क्या?
हाँ यदी राहुल गांधी यह कहते की 56" (इंच) की जगह हम खुद अपना सीना 58" (इंच) का बना कर बताएँगे तो कुछ सकारात्मक बात होती.
लेकिन ज़हर पीने वाला ज़हर ही तो उगलेगा.
तो भैया.. जिस व्यक्ति के पास ना दिल है ना आत्मा है.. तो सीना क्या होता है? वो क्या जाने??
घोटालों के पैसों से भीड़ इकट्ठी करना फिर उछलते रहना और अहं के पागलपन में रात दिन अनर्गल बकते रहने (delirium) से साफ जाहिर है की पूरे देश की तिजोरी हाथ से निकल जाने की यह कोरी खिसियानी भड़ास है.
इसलिए आजकल पागल की तरह मुठ्ठीयां भींच रहे हैं और आस्तीनें चढ़ा रहे हैं..

- Keshav Purohit

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